ऐ खुदा तेरे इस जहाँ में
क्या क्या न तू मुझे दिखाता रहा
मगर मेरा दिल भी बड़ा सख्त निकला
जो हर जख्म खाकर भी हँसता रहा
क्यूँ हँसी के पीछे ग़म छुपाये फिरते रहो
यह सवाल मुझसे हरदम पूछा जाता रहा
जिसे मैंने चाहा तुझसे भी बढ़कर
वही शख्स दिल मेरा दुखाता रहा
आज सोने चली थी एक मुद्दत के बाद
मगर वोह सुकून भी अब जाता रहा
ख्वाइश येही है क़यामत के पहले
मुझे वोह मिले जो हरदम मुझसे कतराता रहा
दो पल खुशी के नसीब में लिख दे
न शिकवा फिर करूंगी यह वादा रहा
Tuesday, November 17, 2009
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